भूगोल क्या है? What is Geography?
भूगोल शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम एक यूनानी विद्वान एराटोस्थनीज़ (Eratosthenes) ने 276-194 ईसा पूर्व किया था। यह शब्द ग्रीक भाषा के दो मूल शब्दों Geo (पृथ्वी) और Graphos (वर्णन) से लिया गया है।कुल मिलाकर, इनका अर्थ है पृथ्वी का वर्णन।
पृथ्वी को हमेशा से मानव के निवास स्थान के रूप में देखा गया है और इसीलिए, विद्वानों ने भूगोल को “मानव के निवास स्थान के रूप में पृथ्वी (Earth as the Home of Man)” को परिभाषित किया है।
आप इस तथ्य से जानकार हैं कि वास्तविकता हमेशा बहुआयामी (multidimensional)होती है और पृथ्वी भी बहुआयामी है, इसीलिए प्राकृतिक विज्ञानों के कई विषय जैसे भूविज्ञान (Geology), मृदा विज्ञान (Pedology), समुद्र विज्ञान (Oceanography), और सामाजिक विज्ञानों (Social Sciences)के कई सहयोगी विषय जैसे अर्थशास्त्र (Economics), इतिहास (History), समाजशास्त्र (Sociology), मानव विज्ञान (Psychology)आदि पृथ्वी की सतह के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हैं।
भूगोल एक विषय के रूप में स्थानीय (Areas) से संबंधित है और स्थानिक विशेषताओं और गुणों पर ध्यान देता है।भूगोल मूलतः एक ऐसा विषय है जिसमें यह वस्तुओं और घटनाओं का उनके समग्र संदर्भ (Areal Differentiation)में अध्ययन करता है।
भूगोल एक संकलनात्मक विज्ञान (Integrating or Synoptic Science) है जो अन्य विज्ञानों के समान तत्वों का उपयोग करता है, लेकिन एक अलग संदर्भ में।
यह मानचित्रों (Maps) को अपने विशेष उपकरण के रूप में विस्तृत उपयोग करते हुए, आँकड़ों को स्थानिक रूप से एकीकृत करता है।
एक विषय के रूप में भूगोल तीन प्रकार के प्रश्नों से संबंधित है:
(i) क्या ?
(ii) कहाँ ?
कुल मिलाकर, ये दोनों प्रश्न प्राकृतिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के वितरण और स्थानिक पहलुओं का ध्यान रखते हैं। ये प्रश्न इस बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं कि विशेषताएँ कहाँ स्थित हैं। इन दो प्रश्नों ने भूगोल को तब तक एक वैज्ञानिक विषय नहीं बनाया जब तक कि तीसरा प्रश्न नहीं जोड़ा गया।
(iii) क्यूँ ?
यह इस तीसरे प्रश्न का उत्तर धरती में घटनाओं के वितरण, स्थान और संकेंद्रण के पैटर्न का अध्ययन करने और उनकी व्याख्या करने के बाद इन पैटर्नों के लिए स्पष्टीकरण प्रदान करता है।
भूगोल की कुछ परिभाषाएं
भूगोल स्थान का विज्ञान है, अर्थात पृथ्वी की सतह का अध्ययन, उसकी भौतिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का स्थान और वितरण, उनके द्वारा निर्मित क्षेत्रीय प्रतिरूप, और इन विशेषताओं का मनुष्यों पर प्रभाव के रूप में अंतर्संबंध।
भूगोल, अध्ययन के एक क्षेत्र के रूप में, अवस्थिति के महत्व और वस्तुओं एवं घटनाओं के स्थानिक नातों से संबंधित है।
1. “भूगोल पृथ्वी की सतह के क्षेत्रीय विभेदन के वर्णन और व्याख्या से संबंधित है।”। - रिचर्ड हार्टशोर्न
2. “भूगोल पृथ्वी की सतह के विभिन्न भागों में आमतौर पर संबंधित घटनाओं के अंतरों का अध्ययन करता है।” - अैफरड हेटनर
3. “भूगोल के अध्ययन का अंतिम उद्देश्य मनुष्य के आवास और उसके साथ उसके अंतर्संबंधों के बारे में अधिक से अधिक तार्किक और उपयोगी ज्ञान प्राप्त करना है।” - हारलेन बैरो
भूगोल के अध्ययन की विधियाँ
भूगोल का अध्ययन कई संबंधित दृष्टिकोणों, अर्थात् व्यवस्थित Systematic या क्षेत्रीय Regional रूप से किया जा सकता है।
व्यवस्थित दृष्टिकोण भौगोलिक ज्ञान को अलग-अलग श्रेणियों में बांटता है जिनका अध्ययन विश्वव्यापी आधार पर किया जाता है।
क्षेत्रीय दृष्टिकोण व्यवस्थित पद्धति के परिणामों को एकीकृत करता है और पृथ्वी के एक विशेष क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न श्रेणियों के अंतर्संबंधों का अध्ययन करता है।
व्यवस्थित भूगोल दृष्टिकोण सामान्य भूगोल के समान ही है। यह दृष्टिकोण अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट, Alexander von Humboldt एक जर्मन भूगोलवेत्ता (1769-1859) द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जबकि क्षेत्रीय भूगोल दृष्टिकोण एक अन्य जर्मन भूगोलवेत्ता और हम्बोल्ट के समकालीन कार्ल रिटर Carl Ritter (1779-1859) द्वारा विकसित किया गया था।
क्षेत्रीय (Regional)दृष्टिकोण पर आधारित भूगोल की शाखाएँ
1. क्षेत्रीय अध्ययन Regional Studies/क्षेत्र अध्ययन जिसमें वृहत्, मध्यम और सूक्ष्म शामिल हैं
2. क्षेत्रीय नियोजन Regional Planning जिसमें ग्रामीण/ग्रामीण और नगरीय/ नगरीय नियोजन शामिल है
3. क्षेत्रीय विकास Regional Development
4. क्षेत्रीय विश्लेषण Regional Demarcation
प्रत्येक विषय में दो पहलू समान हैं, ये हैं:
(i) दर्शनशास्त्र Philosophy
(a) भौगोलिक चिंतन Geographic Thought
(b) भूमि और मानव अंतःक्रिया Man -Land interactions
भूगोल की शाखाएं
व्यवस्थित (Systematic) दृष्टिकोण पर आधारित भूगोल की शाखाएँ:
1. भौतिक भूगोल
(i) भू-आकृति विज्ञान भू-आकृतियों, उनके विकास और संबंधित प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए समर्पित है।
(ii) जलवायु विज्ञान में वायुमंडल की संरचना और मौसम एवं जलवायु के तत्वों और जलवायु प्रकारों और क्षेत्रों का अध्ययन शामिल है।
(iii) जल विज्ञान पृथ्वी की सतह पर जल के क्षेत्र का अध्ययन करता है, जिसमें महासागर, झीलें, नदियाँ और अन्य जल निकाय शामिल हैं और मानव जीवन और उनकी गतिविधियों सहित विभिन्न रूपों पर इसके प्रभाव का अध्ययन करता है।
(iv) मृदा (मिट्टी) भूगोल मृदा निर्माण की प्रक्रियाओं, मृदा प्रकारों, उनकी उर्वरता स्थिति, वितरण और उपयोग का अध्ययन करने के लिए समर्पित है।
2. मानव भूगोल
(i) सामाजिक/सांस्कृतिक भूगोल समाज और उसकी स्थानिक गतिशीलता के साथ-साथ समाज द्वारा योगदान किए गए सांस्कृतिक तत्वों के अध्ययन को भी शामिल करता है।
(ii) जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल (ग्रामीण एवं नगरीय)। यह जनसंख्या वृद्धि, वितरण, घनत्व, लिंगानुपात, प्रवासन और व्यावसायिक संरचना आदि का अध्ययन करता है। बस्ती भूगोल ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की विशेषताओं का अध्ययन करता है।
(iii) समय के साथ होने वाले परिवर्तनों का अनुभव करते हैं और ये ऐतिहासिक भूगोल के विषय बनते हैं।
(iv) राजनीतिक भूगोल राजनीतिक घटनाओं के दृष्टिकोण से देखता है और पड़ोसी राजनीतिक इकाइयों के बीच सीमाओं, स्थान संबंधों, निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन, चुनाव परिदृश्य का अध्ययन करता है और जनसंख्या के राजनीतिक व्यवहार को समझने के लिए सैद्धांतिक ढाँचा विकसित करता है।
जलमंडल (Hydrosphere) (महासागर, समुद्र, झीलें और जल क्षेत्र से जुड़ी विशेषताएँ) और जीवमंडल (Biosphere) (मानव और वृहद जीवों सहित जीवन रूप और उनके पोषण तंत्र, जैसे खाद्य श्रृंखला, पारिस्थितिक मानदंड और पारिस्थितिक संतुलन) का अध्ययन शामिल है।
3. भूगोल के अध्ययन की विधियाँ
- दर्शनशास्त्र Philosophy
- भौगोलिक चिंतन Geographic Though
- भूमि और मानव अंतःक्रिया Land-man iter-relations/ मानव पारिस्थितिकी Human Ecology
विधियाँ और तकनीकें
(a) मानचित्रकला Cartography/ कंप्यूटर सहित मानचित्रकला
(b) मात्रात्मक तकनीकें/सांख्यिकीयतकनीकें Statistical Techniques
(c) क्षेत्र सर्वेक्षण विधियाँ Survey Methodologies
(d) भू-सूचना विज्ञान Geo-informatics जिसमें सुदूर संवेदन - Remote Sensing, जीआईएस GIS-Geographic Information Systems, जीपीएस GPS- Geo positioning systems आदि तकनीकें शामिल हैं।
भूगोल का महत्व
भौतिक भूगोल में स्थलमंडल (Earth’s Crust), भूमिरूप (Landforms) , जल निकासी (Drainage), उच्चावच (Undulation) और भौतिकी (Physiography), वायुमंडल (Atmosphere) (इसकी संरचना, संरचना, मौसम और जलवायु के तत्व और नियंत्रण; तापमान, दबाव, हवाएँ, वर्षा, जलवायु प्रकार, आदि), मृदाएँ पेडोजेनेसिस (Pedogenesis) की प्रक्रिया द्वारा निर्मित होती हैं और मूल चट्टानों, जलवायु, जैविक गतिविधि और समय पर निर्भर करती हैं। समय मृदा को परिपक्वता (Maturity) प्रदान करता है और मृदा प्रोफ़ाइल के विकास में मदद करता है। प्रत्येक तत्व मानव के लिए महत्वपूर्ण है।
भू-आकृतियाँ वह आधार प्रदान करती हैं जिस पर मानवीय गतिविधियाँ आधारित होती हैं। मैदानों का उपयोग कृषि के लिए किया जाता है। पठार वन और खनिज प्रदान करते हैं। पर्वत चरागाह, वन, पर्यटन स्थल प्रदान करते हैं और निचले इलाकों को पानी प्रदान करने वाली नदियों के स्रोत हैं।
जलवायु हमारे घरों के प्रकार, पहनावे और खान-पान की आदतों को प्रभावित करती है। जलवायु का वनस्पति और फसलों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
भौतिक भूगोल का अध्ययन प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन (Estimates) और प्रबंधन के एक विषय के रूप में उभर रहा है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, भौतिक पर्यावरण और मानव के बीच जटिल (complex) संबंधों को समझना आवश्यक है जो भौतिक भूगोल समझाने मे पर्याप्त है।
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